Delhi Election 2020: वोट शेयर का समझें पूरा गणित, 2013 के बाद से बदल चुकी है पूरी तस्वीर

Delhi Election 2020: वोट शेयर का समझें पूरा गणित, 2013 के बाद से बदल चुकी है पूरी तस्वीर 




सार


दिल्ली चुनाव में इस बार किसका पलड़ा भारी रहेगा इसपर सबकी नजर है। पिछले पांच सालों के दौरान दिल्ली की सियासत में काफी कुछ बदला है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि ऊंट किस करवट बैठता है।  

 

विस्तार


दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में इस बार की जंग काफी दिलचस्प साबित होने जा रही है। किस पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहेगा और उसे कितनी सीटें मिलेंगी, इसका दारोमदार काफी हद तक वोट शेयर पर भी रहेगा। ऐसे में समझना जरूरी है कि पिछले दो चुनाव में किस पार्टी को कितने वोट मिले थे और उसका प्रदर्शन कैसा रहा था। 
 

2013 विधानसभा चुनाव

2013 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP)को 30 फीसदी वोट मिले थे जो 2015 में बढ़कर 54 फीसदी हो गया। कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा और उसका वोट शेयर 40 फीसदी से घटकर 25 फीसदी पर आ गया।  कांग्रेस की सीटें 43 से घटकर 8 पर पहुंच गईं। 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 32, आप को 28, कांग्रेस को 8 और अन्य को दो सीटें मिली थीं। आप-कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई थी।   

2014 लोकसभा चुनाव

2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर 46 फीसदी था और उसने सातों सीटों पर कब्जा जमाया। 2019 लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने सभी सातों सीटों पर जीत हासिल की, लेकिन इस बार उसका वोट शेयर 56 फीसदी पहुंच गया। 

2015 विधानसभा चुनाव

2015 विधानसभा चुनाव में आप का वोट शेयर 24 फीसदी बढ़कर करीब 50 फीसदी हो गया। उसने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 67 सीटें हासिल कर विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया। कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा, उसे 10 फीसदी से भी कम वोट मिले और उसे एक भी सीट नहीं मिली। भाजपा महज तीन सीटों पर सिमट गई। 

2017 नगर निगम चुनाव

2015 में  कांग्रेस का वोट शेयर 10 फीसदी से भी कम पर पहुंच गया। लेकिन 2017 के नगर निगम और 2019 लोकसभा चुनाव में उसका वोट शेयर 20 फीसदी से ज्यादा रहा। दोनों चुनावों में आप को जबरदस्त झटका लगा। निगम चुनाव में आप को कांग्रेस ने तगड़ा नुकसान पहुंचाया। 2015 चुनाव में झटका खाने के बाद कांग्रेस ने जबरदस्त मेहनत करते हुए दमदार प्रदर्शन कर सभी को चौंका दिया। 

2019 लोकसभा चुनाव

2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-आप के बीच गठबंधन की कोशिश हुई लेकिन परवान नहीं चढ़ सकी। 15 साल तक कांग्रेस ने दिल्ली पर शासन किया था ऐसे में वह नंबर टू की हैसियत से चुनाव मैदान में नहीं उतरना चाहती थी। इसका उसे फायदा भी मिला। वह पांच लोकसभा सीटों पर दूसरे नंबर पर रही। आप दो सीटों पर नंबर दो पर आई। तीन सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई। भाजपा ने सातों सीटों पर कब्जा जमाया। 

कांग्रेस का वोट शेयर 22.5 फीसदी रहा। दो साल पहले हुए निगम चुनाव में आप का वोट शेयर 26 फीसदी था जो घटकर 18 फीसदी पर पहुंच गया। भाजपा ने वोट शेयर में 10 फीसदी का इजाफा किया और ये 46 से 56 फीसदी तक पहुंच गया। इस दौरान 70 विधानसभा सीटों में से 65 में भाजपा सबसे आगे रही जबकि बाकी पांच सीटों पर कांग्रेस आगे रही।  

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