विश्वविद्यालयों में दस प्रसिद्ध महिलाओं के नाम पर बनेंगी स्वतंत्र पीठ
सार
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 10 प्रसिद्ध महिलाओं के नाम से विश्वविद्यालयों में दस स्वतंत्र पीठ के गठन का एलान किया है
- यूजीसी ने इसके लिए अलग से 5 करोड़ रुपये प्रति वर्ष खर्च करने का प्रावधान किया
विस्तार
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में नाम कमाने वाली 10 प्रसिद्ध महिलाओं के नाम से विश्वविद्यालयों में दस स्वतंत्र पीठ (चेयर) के गठन का एलान किया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सहयोग से इन 10 पदों के नाम उन महिलाओं के नाम पर रखे गए हैं जिन्होंने कला, साहित्य, विज्ञान, स्वास्थ्य, वन संरक्षण, गणित, कविता लेखन और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करने का काम किया है।
देवी अहिल्याबाई होलकर (प्रशासनिक), महादेवी वर्मा (साहित्य), रानी गैदीनलियू (स्वतंत्रता सेनानी), आनंदीबाई गोपालराव जोशी (स्वास्थ्य), एम एस सुब्बूलक्ष्मी (कला), अमृता देवी बेनीवाल (वन संरक्षण), लीलावती(गणित), कमला सोहोने (विज्ञान), लालदेद (कविता), हंसा मेहता (शैक्षणिक सुधारों के लिए) के नाम पर यह पीठ होंगी।
इसमें शैक्षणिक सत्र 2020 से विश्वविद्यालयों में पढ़ाई और शोध शुरू हो जाएगा। इन महिला विद्वानों के नाम से गठित इस पीठ का काम महिलाओं को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान, अध्ययन तथा शोध के लिए प्रेरित करना है।
इसके अलावा महिलाओं के लिए सार्वजनिक नीति निर्माण में योगदान के लिए कार्य योजना बनाने में विश्वविद्यालय को मजबूत आधार बनाने में मदद करना, अंतर विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के स्तर पर संवाद अनुसंधान पर चर्चाओं का आयोजन, समर और विंटर स्कूल शुरू करना है।
यूजीसी ने इसके लिए अलग से 5 करोड़ रुपये प्रति वर्ष खर्च करने का प्रावधान किया है। इसमें शिक्षकों की नियुक्ति, शोध और पढ़ाई का बजट शामिल है। शुरुआत में इसकी स्थापना पांच साल के लिए की गई है। यूजीसी इसकी उपयोगिता का आंकलन 5 साल बाद करेगी।
देवी अहिल्याबाई होलकर (प्रशासनिक), महादेवी वर्मा (साहित्य), रानी गैदीनलियू (स्वतंत्रता सेनानी), आनंदीबाई गोपालराव जोशी (स्वास्थ्य), एम एस सुब्बूलक्ष्मी (कला), अमृता देवी बेनीवाल (वन संरक्षण), लीलावती(गणित), कमला सोहोने (विज्ञान), लालदेद (कविता), हंसा मेहता (शैक्षणिक सुधारों के लिए) के नाम पर यह पीठ होंगी।
इसमें शैक्षणिक सत्र 2020 से विश्वविद्यालयों में पढ़ाई और शोध शुरू हो जाएगा। इन महिला विद्वानों के नाम से गठित इस पीठ का काम महिलाओं को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान, अध्ययन तथा शोध के लिए प्रेरित करना है।
इसके अलावा महिलाओं के लिए सार्वजनिक नीति निर्माण में योगदान के लिए कार्य योजना बनाने में विश्वविद्यालय को मजबूत आधार बनाने में मदद करना, अंतर विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के स्तर पर संवाद अनुसंधान पर चर्चाओं का आयोजन, समर और विंटर स्कूल शुरू करना है।
यूजीसी ने इसके लिए अलग से 5 करोड़ रुपये प्रति वर्ष खर्च करने का प्रावधान किया है। इसमें शिक्षकों की नियुक्ति, शोध और पढ़ाई का बजट शामिल है। शुरुआत में इसकी स्थापना पांच साल के लिए की गई है। यूजीसी इसकी उपयोगिता का आंकलन 5 साल बाद करेगी।